मानव भारती देहरादून के बच्चों की गीता पाठ प्रस्तुति ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया…..
“बच्चों ने बताया क्या होता है क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ”
अंतर्विद्यालय गीता पाठ प्रस्तुति में मानव भारती देहरादून की प्रस्तुति श्लाघनीय तथा अभिनन्दनीय रही।कासीगा स्कूल देहरादून के भव्य सभागार में आयोजित गीता पाठ प्रस्तुति में प्रायः १८स्कूलों की प्रतिभाशाली विद्यार्थियों ने सहभागिता सुनिश्चित की।
मुख्य अतिथि उत्तराखंड संस्कृत अकादमी के सचिव तथा संस्कृत शिक्षा निदेशक श्री एस० पी० खाली ने बच्चों को प्रशस्ति पत्र एवं श्रीमद्भगवद्गीता की पुस्तक देकर सम्मानित किया।इस अवसर पर मानव भारती देहरादून के अध्यापक डॉ०अनन्तमणि त्रिवेदी को भी सम्मानित किया गया।
बच्चों ने श्रीमद्भगवद्गीता के त्रयोदश अध्याय के श्लोकों का सामूहिक उपस्थापन किया जो आनन्द के साथ सुना गया। इस प्रस्तुति में प्राची पांडे कक्षा १२वीं, अंशिका पंवार कक्षा १२वीं, प्राची रावत कक्षा १०वीं, श्रेया लिंगवाल कक्षा ८वीं, अम्बिका शाह कक्षा ८वीं, अवनी सिंह कक्षा ८वीं, अंशुल ध्यानी कक्षा ८वीं,प्राची पंवार कक्षा ८वीं, प्रेरणा बड़थ्वाल कक्षा ७वीं,कलिका त्रिवेदी कक्षा ७वीं तथा अंशिका नेगी कक्षा ७वीं ने अपनी प्रस्तुति दी।
कासीगा विद्यालय के प्राचार्य डॉ०एस० एस० राजपूत ने सभी का स्वागत करते हुए आभार व्यक्त किया। कासीगा स्कूल की भारतीय भाषाओं की विभागाध्यक्षा डॉ० नूतन स्मृति ने बच्चों की प्रस्तुति की सराहना करते हुए उनके अध्यापक का अभिनन्दन किया एवं मानव भारती देहरादून के द्वारा चलाए जा रहे संस्कृत शिक्षण प्रकल्प की सराहना की।
इदं शरीरं कौन्तेय क्षेत्रमित्यभिधीयते।
एतद्यो वेत्ति तं प्राहु: क्षेत्रज्ञं इति तद्विद:।।
त्रयोदश अध्याय के प्रथम श्लोक में श्री कृष्ण अर्जुन को उपदेश करते हुए बोलते हैं कि हे अर्जुन ! यह शरीर क्षेत्र इस नाम से कहा जाता है और इसको जो जानता है उसको क्षेत्रज्ञ इस नाम से उनके तत्त्व को जाननेवाले ज्ञानीजन कहते हैं।
यह शरीर ही क्षेत्र नाम से जाता कहा है ऐसा जान।
क्षेत्रज्ञ उसे जो इसे जानता कहते हैं सब ज्ञानवान् ।।