संस्कृत गायन- समागम में मानव भारती के बच्चों ने गाये संस्कृत भाषा के सुंदर और सुरीले गीत………… “ज्योतिर्गमय ” विशेष पुरस्कार से सम्मानित हुए बाल- लेखक :-
देव- वाणी ही हमारे देश का सम्मान है। देव- वाणी ही हमारे राष्ट्र का अभिमान है।।
मानव भारती इंडिया इंटरनेशनल स्कूल देहरादून के सभागार में संस्कृत दिवस के शुभ अवसर पर स्वरमय संस्कृत गायन समागम का आयोजन किया गया। समागम का उद्घाटन मानव भारती के निदेशक डॉ. हिमांशु शेखर, प्रधानाचार्य श्री अजय गुप्ता, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी श्री प्रवीण ध्यानी तथा संस्कृत अध्यापक डॉ. अनन्तमणि त्रिवेदी ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस अवसर पर प्रेरणा बड़थ्वाल कक्षा- आठवीं की छात्रा ने दीप श्लोक की श्लाघनीय प्रस्तुति दी। हमारे देश में 1969 से श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को संस्कृत दिवस मनाने की परम्परा चली आ रही है जो अब विश्व संस्कृत दिवस के रूप में उत्साह के साथ मनाया जाता है।
इस अवसर पर संगीतमय कार्यक्रम में कक्षा- पांचवी के छात्र- छात्राओं ने सादरं समीयताम्……, कक्षा छठी के छात्रों ने भारतं मम मातृभूमि: …. कक्षा सातवीं के छात्रों ने सुंदर सुरभाषा….. तथा कक्षा आठवीं के छात्र-छात्राओं ने मानसा सततं स्मरणीयं, लोकहितं मम करणीयम् ……, संस्कृत गीतों की प्रस्तुति देकर श्रोताओं को मंत्र मुक्त कर दिया। मानव भारती के निदेशक डॉ. हिमांशु शेखर तथा प्रधानाचार्य श्री अजय गुप्ता ने सभी बाल- गायकों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया एवं विश्व संस्कृत दिवस की शुभकामनाएं दी।
इस शुभ अवसर पर मई 2020 से अनवरत प्रकाशित होने वाली मानव भारती देहरादून की संस्कृतनिष्ठ बाल-मासिक पत्रिका “ज्योतिर्गमय ” के लिए प्रतिभाशाली बच्चों को “ज्योतिर्गमय विशेष पुरस्कार” से पुरस्कृत किया गया। सर्वश्री प्रेरणा बड़थ्वाल कक्षा- अष्टम, अंशिका नेगी कक्षा -अष्टम, कलिका त्रिवेदी कक्षा-अष्टम, तानिया पासवान कक्षा-अष्टम, पलक्षा कक्षा- सप्तम तथा खुशी सिंह कक्षा तृतीय को यह पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
अपने विशेष धन्यवाद ज्ञापन सम्बोधन में मानव भारती के शिक्षक तथा कार्यक्रम के संयोजक डॉ० अनन्तमणि त्रिवेदी ने संस्कृत दिवस के विषय में बच्चों को बताया तथा सफलतापूर्वक संपन्न स्वरमय संस्कृत गायन समागम के लिए सभी को हार्दिक शुभकामनाएं प्रदान की। समागम का सुमधुर संचालन कक्षा आठवीं की छात्रा प्रेरणा बड़थ्वाल ने की। इस अवसर पर संगीत शिक्षक श्री राजीव सागर, संगीत शिक्षिका तनीषा पंवार , श्री अनिल कंडवाल, पूनम ढौडिंयाल , पुष्पा बिष्ट सहित अनेक शिक्षक, शिक्षिकाएं तथा छात्र- छात्राएं समुपस्थित थीं।
भारतवर्ष का हृदय चिरकाल से संस्कृत भाषा रही है, इस संस्कृत भाषा से भारत की चिन्मय प्रकृति हम समझ सकते हैं और इसी से शिक्षा का समुचित लक्ष्य पा सकते हैं। अंग्रेजी भाषा का ज्ञान भी प्रयोजनीय है किंतु संस्कृत भाषा में एक अलग आनंद है जो हमारे मन को रंजीत करती है, प्रसन्नता प्रदान करती है, संस्कृत भाषा सबको शक्ति प्रदान करती है, हमारे चिंतन को मर्यादा के साथ नियंत्रित करती है। हम सबको संस्कृत भाषा अवश्य पढनी चाहिए तथा इसके संरक्षण और संवर्धन के लिए सतत् प्रयासरत रहना चाहिए।
– गुरुवर कवींद्र रवींद्रनाथ ठाकुर
संस्कृत भाषा वह गंगा की पावन निर्मल धारा।
जिसके स्पर्श मात्र से होता जीवन धन्य हमारा।।
“जयतु संस्कृतं जयतु भारतम्”