मानव भारती के बच्चों ने नुक्कड़ नाटक से दिया नई पीढ़ी को पलायन रोकने और स्वच्छ पर्यावरण संरक्षण का संदेश…….
नेहरू ग्राम, देहरादून स्थित द इंडियन एकेडमी के सभागार में आयोजित नुक्कड़ नाटक कार्यक्रम में शामिल होकर मानव भारती देहरादून के बच्चों ने मनोयोग से पलायन रोकने तथा स्वच्छ पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। इस भव्य और दिव्य आकर्षक कार्यक्रम में प्रायः १७ स्कूलों की टीम ने सहभागिता सुनिश्चित की। बच्चों ने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से अपने विषयानुसार समाज को अनेकानेक संदेश देने का काम किया।
मानव भारती के बच्चों ने गांव से हो रहे पलायन पर अपनी चिंता जताई और खेल- खेल में रामायण के इस श्लोक का संदेश दे दिया जहां श्रीराम ने लक्ष्मण से कहा था कि अपनी मां और मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर महान है, अतः इनका सम्मान करना ही चाहिए।
“जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी” – रामायण
सभी बच्चों ने बखूबी अपनी- अपनी प्रतिभा से श्रोताओं तथा दर्शकों तक अपना संदेश पहुंचाने में सफलता प्राप्त की।इन बच्चों ने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण तथा जलवायु परिवर्तन पर भी अपनी चिंता दर्शाई जो दर्शकों को बहुत पसंद आई। वस्तुतः हम सभी को भी पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्षारोपण कार्य करना चाहिए और वृक्षों को संतानवत् संरक्षण देना चाहिए।हम सभी को मृदा संरक्षण, वनीकरण,पलायन, डस्टबिन प्रबंधन,वर्षा संरक्षण के साथ गांव से हो रहे लगातार पलायन पर ध्यान देना चाहिए। कार्यक्रम के अंत में प्रधानाचार्या श्रीमती नीलम शर्मा ने मानव भारती के शिक्षक डॉ० अनन्तमणि त्रिवेदी तथा श्री राजीव सागर को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। प्रशस्ति पत्र पाकर बच्चे भी लाभान्वित और उत्साहित दिखे। कार्यक्रम में जिन बच्चों ने सहभागिता सुनिश्चित की उनमें प्रांजल गुप्ता कक्षा १०वीं, प्राची रावत कक्षा १०वीं, शिवांगी चमोली कक्षा १०वीं,आयुषी पंवार कक्षा १०वीं,जानवी सागू कक्षा १०वीं,रीताब्रता मंडल कक्षा १०वीं,कनिका नैरुला कक्षा ९वीं, ईशान जोशी कक्षा ९वीं,दक्ष सिंह चौहान कक्षा ९वीं, सौम्या चौधरी कक्षा ९वीं, मोहम्मद आमीन कक्षा ९वीं, अविषेक पटवाल कक्षा ९वीं प्रमुख थे।
नाटक का सफल निर्देशन स्कूल की वरिष्ठ अध्यापिका श्रीमती सुमोना घोष, श्रीमती डाॅ. बबिता गुप्ता, श्रीमती नुपुर बिष्ट एवम् श्रीमती अक्षिता शर्मा ने किया।
आइए हम सभी भी एक जागरूक प्रहरी बनें, पर्यावरण संरक्षण के लिए जिम्मेदार व्यक्ति बनें, प्लास्टिक का इस्तेमाल ना करें, गांवों से हो रहे लगातार पलायन को रोकें और जलवायु परिवर्तन के साथ वनीकरण पर विशेष ध्यान दें।
स्यात् सूखमयं मम भारतम् ,लोका: समस्ता: सुखिनो भवन्तु ।